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11 June 2015

उलझे हुए शब्द ........

आपस में
उलझे हुए शब्द
सुलझ कर
ढल कर
किसी साँचे में
पाले रहते हैं उम्मीद
दस्तावेज़ बन कर
कल,आज और कल के
किसी कोने में छुप कर
फूल या काँटा बन कर
मन को भाने
या
चुभ जाने की.....

आपस में
उलझे हुए शब्द
नामालूम क्यों
कई गांठों में
कहीं दबे होते हुए भी
अपने आप ही
सुलझे से लगते हैं
किसी अनजान भाषा में
किसी अनजान से
कुछ कहते हुए से।

~यशवन्त यश©

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