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01 August 2013

छुपा हुआ सच....

30 जुलाई को यह चित्र एक दोस्त ने फेसबुक पर टैग
किया था। यह पंक्तियाँ इसी चित्र को देख कर अभिव्यक्त हुई हैं-



 







डायरी मे लिखी
यादों के
उसी एक पन्ने पर
बार बार ठहर जाती है नज़र
जिस पर रच डाला है
मैंने
जीवन का
अनकहा सच 

सच ...
सुना नहीं सकता किसी को
बना कर कोई कविता
कोई कहानी
सच ....
जिसे दे नहीं सकता शब्द
मगर बना सकता हूँ
खुद के समझने लायक
आड़ी तिरछी लकीरें
सच...
जिसे छुपा तो सकता हूँ
नये
अगले
सफ़ेद और कोरे
पन्ने के मुखौटे के
भीतर
ताकि मैं वही रहूँ
जो मैं हूँ
आज कल और
हमेशा
दुनिया की नज़रों में।

~यशवन्त माथुर©

10 comments:

  1. कभी न बदलेंगे हम!

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  2. बहुत सुंदर पोस्ट
    हार्दिक शुभकामनायें

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  3. गहरी बात कही....बहुत सुंदर

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  4. sunder kavita
    shubhkamnayen
    rachana

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  5. आपने लिखा....हमने पढ़ा....
    और लोग भी पढ़ें; ...इसलिए शनिवार 03/08/2013 को
    http://nayi-purani-halchal.blogspot.in
    पर लिंक की जाएगी.... आप भी देख लीजिएगा एक नज़र ....
    लिंक में आपका स्वागत है ..........धन्यवाद!

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  6. सुन्दर रचना !!!

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  7. बहुत सुंदर

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  8. सच कहा है सच सदा ही अनकहा रह जाता है

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  9. सच हो या झूठ लाख परतों के पीछे छुपा हो कभी न कभी सामने आ ही जाता है ...
    बहुत बढ़िया प्रस्तुति ....

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