प्रतिलिप्याधिकार/सर्वाधिकार सुरक्षित ©

इस ब्लॉग पर प्रकाशित अभिव्यक्ति (संदर्भित-संकलित गीत /चित्र /आलेख अथवा निबंध को छोड़ कर) पूर्णत: मौलिक एवं सर्वाधिकार सुरक्षित है।
यदि कहीं प्रकाशित करना चाहें तो yashwant009@gmail.com द्वारा पूर्वानुमति/सहमति अवश्य प्राप्त कर लें।

23 March 2013

सिर्फ आज ......

जगह जगह बने
धूल-गर्द में ढके
निर्जन
शहीद स्मारक
आज होंगे गुलज़ार
और उनमें गूँजेंगी
भगत सिंह,सुख देव और
राज गुरु की अमर कथाएँ
सर्वस्व समर्पण की
गाथाएँ
जोशीले गीत
निकल कर बाहर
किताबों के पन्नों से
करेंगे जुगलबंदी
ज़ुबान और होठों से
सिर्फ आज के ही दिन
हमें याद आएगा
उन जाने
और अनजानों का
एहसान
हम और
हमारी पीढ़ी
कल से
फिर शुरू कर देगी
सरफरोशी को
भूल कर
एहसान फरामोशी की
दस्तूरी
दास्तान!
~यशवन्त माथुर©

9 comments:

  1. बेहतरीन प्रस्तुति,आभार.

    ReplyDelete
  2. सच ही आज हम कितने एहसान फरामोश हो गए हैं .... सच को कहती अच्छी रचना

    ReplyDelete
  3. उन्हें कभी न भुलाया जाय ....

    ReplyDelete
  4. कल से
    फिर शुरू कर देगी
    सरफरोशी को
    भूल कर
    एहसान फरामोशी की
    दस्तूरी
    दास्तान!
    सत्य कथन !
    सार्थक अभिव्यक्ति !!
    शुभकामनायें !!

    ReplyDelete
  5. सही कहा तुमने

    ReplyDelete

  6. बहुत सुन्दर ...
    पधारें "चाँद से करती हूँ बातें "

    ReplyDelete
  7. यशवंत भाई, आपकी पंक्तियों में यथार्थ की बेबाकी बड़ी ही सटीक बैठती है .. अच्छी रचना ...
    होली की अग्रिम सादर शुभकामनाएं आपको !! :)

    ReplyDelete
  8. हम और
    हमारी पीढ़ी
    कल से
    फिर शुरू कर देगी
    सरफरोशी को
    भूल कर
    एहसान फरामोशी की
    दस्तूरी
    दास्तान!
    यही तो त्रासदी है

    ReplyDelete
+Get Now!