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07 February 2013

क्या लिखता हूँ मैं और.........

बे फिकर उड़कर
मन की कविता को जब देखता हूँ
सोचता  हूँ
और बस शब्दों को सहेजता हूँ

कभी वक़्त आने पर
जान लेगी दुनिया
बिना स्याही आकाश के पन्ने पर
क्या लिखता हूँ मैं
और क्या मिटा देता  हूँ।

©यशवन्त माथुर©

(दो दिन पहले एक फेसबुक मित्र की प्रोफाइल फोटो पर
लिखी टिप्पणी जिसे थोड़ा सा संपादित कर दिया है) 

12 comments:

  1. कभी वक़्त आने पर
    जान लेगी दुनिया
    बिना स्याही आकाश के पन्ने पर
    क्या लिखता हूँ मैं
    और क्या मिटा देता हूँ।
    जो भी हो खुशियों से भरा हो...
    सुन्दर रचना....
    :-)

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  2. शब्दों को लय में सहेजना ही कविता है,,,

    RECENT POST: रिश्वत लिए वगैर...

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  3. ऐसे ही सहेजते जाइये इन शब्दों को... शुभकामनायें

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  4. आपकी यह बेहतरीन रचना शनिवार 09/02/2013 को http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जाएगी. कृपया अवलोकन करे एवं आपके सुझावों को अंकित करें, लिंक में आपका स्वागत है . धन्यवाद!

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  5. बिना स्याही आकाश के पन्ने पर
    क्या लिखता हूँ मैं
    और क्या मिटा देता हूँ।

    बहुत बहुत सुंदर.....

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  6. बहुत सुंदर..आकाश के पन्ने पर लिखी कविता भी पढ़ी जाती है...

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  7. अव्यक्त अभिव्यक्ति..अति सुन्दर!

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  8. soch ki udaan aseem hai yashwant ji...too gud!

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  9. सुन्दर भावनात्मक अभिव्यक्ति

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