प्रतिलिप्याधिकार/सर्वाधिकार सुरक्षित ©

इस ब्लॉग पर प्रकाशित अभिव्यक्ति (संदर्भित-संकलित गीत /चित्र /आलेख अथवा निबंध को छोड़ कर) पूर्णत: मौलिक एवं सर्वाधिकार सुरक्षित है।
यदि कहीं प्रकाशित करना चाहें तो yashwant009@gmail.com द्वारा पूर्वानुमति/सहमति अवश्य प्राप्त कर लें।

11 February 2012

श्री गूगलाय नमः !

गूगल अगर तू न होता
तो गूगोल* का भूगोल क्या होता
क्या सिमट आती इस तरह
दुनिया एक क्लिक की दूरी पर
क्या कॉपी -पेस्ट से
कोई असाइनमेंट तैयार होता
न लिखी जा पाती कोई थीसिस
गुजरे कल के पन्नों से
सुनना फ्री का म्यूज़िक
न इतना आसान होता
न होता हमकदम तेरा ये ब्लॉग्स्पॉट
तो क्या लिखता मैं
राईटर भी एडिटर भी
कैसे बन सकता मैं
न लिखी जा पाती कोई 'बुक'
किसी के 'फेस' को देख कर
बराबर सब होता तो
माइनस 'प्लस' का क्या होता
गूगल तू  देवता है !
सिर्फ देता, न लेता कुछ तू यूजर से
डाटा तो एक बूंद है
जिसे मथता तू  'वेब' समुंदर से
नमन तुझ को तू
मेरे 'सर्च' सुमन स्वीकार कर के
मनचाहे लिंक्स की
शीघ्र ही बौछार कर दे!

------
*गूगोल =खरब से अधिक बड़ी संख्या। 

(यशवन्त माथुर)

22 comments:

  1. जी सही कहा आपने यशवंत जी ,
    अगर गूगल नहीं होता तो इतने सारे काम
    फ्री म्यूजिक ,मनचाही जानकारी, चित्र देखना...
    ये सब कहा हो पाता ....
    सबसे बड़ी बात ब्लॉग नहीं होता जी
    तो हमारा क्या होता....
    गूगल पर बढ़िया आलेख ....

    ReplyDelete
  2. राईटर भी एडिटर भी
    कैसे बन सकता मैं(सकते आप)
    न लिखी जा पाती कोई 'बुक'
    क्या सिमट आती इस तरह
    दुनिया एक क्लिक की दूरी पर
    क्या आप और मैं ,बन पाते
    बेटा और आंटी ,इतनी दूरी पर.... :)

    ReplyDelete
    Replies
    1. क्या आप और मैं ,बन पाते
      बेटा और आंटी ,इतनी दूरी पर!

      Naye rishte jodta Google, sahi khayal!

      Delete
    2. आप से भी रिश्तेदारी का इन्तजार है.... :)अगर एतराज न हो.... ?

      Delete
  3. सच है अगर गूगल नहोता तो दुनिया का भूगोल क्या होता..? फिर तो द्निया अपने में ही सिमट कर रह जाती ...बहुत सुन्दर ख्यालात..

    ReplyDelete
  4. बिल्कुल सही बात अगर ये न होता तो हम इतनी दूरियों को पलभर में शायद कभी न तय कर पाते और आपस के अहसास को कभी न बाँट पाते | तुम्हारी बात से पूरी तरह से सहमत |

    ReplyDelete
  5. अत्यंत सुन्दर लेखन..

    ReplyDelete
  6. जय हो गूगल देवता की ………सुन्दर प्रस्तुति ।

    ReplyDelete
  7. :-)

    सच्ची...सदी की सबसे बड़ी खोज है इंटरनेट और दूसरे ये गूगल देवता...या गूगल माँ....(as i'm not sure about the gender)
    :-)
    ओम श्री गूगलाय नमः !

    ReplyDelete
  8. सच! गूगल जीवन का अपिहार्य अंग बन चुका है!

    ReplyDelete
  9. बहुत ही अच्छी प्रस्तुती.....

    ReplyDelete
  10. Yashwant ji
    bahut accha likha hain aapne..sach hain agar yeh gugal nahi hota to jaane kya hota..
    aapki yeh rachna pasand aayi

    ReplyDelete
  11. यूँ जुड़ते रहें ...... सुंदर रचना

    ReplyDelete
  12. जय हो गुगल महाराज की।
    इसके फायदे बडे हैं पर एक बडा नुकसान यह है कि लोगों की याद रखने की क्षमता खत्‍म होते जा रही है... सब हैं गुगल के भरोसे।

    ReplyDelete
  13. जी सही कहा आपने यशवंत जी बहुत जरुरी हैं गूगल जी हमारे लिए... सुन्दर प्रस्तुति

    ReplyDelete
  14. गूगल पर निर्भरता हो चुकी है और इसकी आदत पड़ गई है.

    ReplyDelete
  15. वाह ...बहुत ही बढि़या लिखा है आपने .. ।

    ReplyDelete
  16. bahut hi sahi kaha hai varna mujh jaise to kuch likh hi nahi pate. Dhanyawad.

    ReplyDelete
  17. :-)).....thanks to team of Google for such a great Blogger services.

    ReplyDelete
  18. :):) आज तो सच ही गूगल देवता है ॥

    ReplyDelete
+Get Now!