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12 February 2011

बस लिखता रहूँ!

सोच जो बदल जाती शब्दों में
शब्द जो अभिव्यक्ति बनकर
गुन गुनाए जाते स्वरों में
उन स्वरों को मैं अपनी
आवाज़ देता रहूँ
बस लिखता रहूँ!

है ये जीवन का सफ़र
बड़ी ही कठिन है डगर
आते जाते हर लम्हे को
यूँ ही महसूस करता रहूँ
बस लिखता रहूँ!

ठंडी हवा के झोंकों को
कल कल नदी की  लहरों को
खिलते गुलाब के फूलों को
मुरझाये हुए चेहरों को
कुछ नए बिम्ब देता रहूँ
बस लिखता रहूँ!

11 comments:

  1. @ yashwant bhai
    sach kaha aapne jo man kahe wahi likhna chahiye
    bahut hi sunder kavita

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  2. ठंडी हवा के झोंकों को
    कल कल नदी की लहरों को
    खिलते गुलाब के फूलों को
    मुरझाये हुए चेहरों को
    कुछ नए बिम्ब देता रहूँ
    बस लिखता रहूँ!

    ..........दिल को छू लेने वाली प्रस्तुती

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  3. बहुत सुन्दर भावाव्यक्ति…….…लेखन सतत चलता रहे।

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  4. बहुत सुंदर.....सतत लेखन की ढेरों शुभकामनायें .....

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  5. बहुत ही सुंदर जी धन्यवाद

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  6. लिखते रहें. आप अच्छा लिखते हैं.

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  7. अरे ये तो बाद में देखा आपकी नई पोस्ट.....कोई बात नहीं...यूं ही लिखते रहिए...मन के भावों को शब्दों में ढालते रहिए....

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  8. बहुत सुन्दर! बेहतरीन!

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  9. आते जाते हर लम्हे को
    महसूस करता रहूं
    बस लिखता रहूं ...
    प्रशंसनीय अभिव्यक्ति ...

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  10. आप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद!

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