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08 February 2011

बसंत पंचमी की शुभ कामनाएं

जैसे लहलहा रहे हैं
खेतों में सरसों के फूल
जैसे मुस्कुरा रहे हैं
गेंदा और गुलाब
जैसे चहक रहे हैं
पंछी ऊंची उड़ानों में
जैसे हो उठा खुशनुमा
ये बासंती मौसम
ऐसे ही खिल  उठे  
मुस्कराहट
मुरझाये हुए चेहरों  पर
खुल जाएँ ज्ञान चक्षु
खिली हुई धूप की तरह
मिले नयी ऊर्जा
सोचने की समझने की 
आ जाये एक नयी बहार
बस यही वंदना है
यही अर्चना है
बसंत पंचमी पर.

13 comments:

  1. बहुत सुंदर और सार्थक वंदना ....... शुभकामनायें आपको भी

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  2. बसंत पंचमी की शुभ कामनाएं

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  3. मुरझाये हुए चेहरों पर
    खुल जाएँ ज्ञान चक्षु... basant kuch aisa ho

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  4. वसंत पंचमी पर बहुत सुन्दर पोस्ट...ऋतुराज के आगमन पर शुभकामनायें.

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  5. मुरझाये हुए चेहरों पर
    खुल जाएँ ज्ञान चक्षु
    खिली हुई धूप की तरह
    मिले नयी ऊर्जा
    बहुत खूबसूरत....
    आपको भी हार्दिक शुभकामनाएं

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  6. वसंत पंचमी पर बहुत सुन्दर पोस्ट...ऋतुराज के आगमन पर शुभकामनायें.

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  7. बहुत ही सुन्‍दर प्रस्‍तुति ...बहुत खूब, अच्छा लगा आपके ब्लॉग पर आकर.
    कवितायेँ भावपूर्ण हैं आपकी

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  8. सुंदर और सार्थक प्रस्तुति.वसंत पंचमी की ढेरों शुभकामनाएं!
    सादर,
    डोरोथी.

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  9. bahut accha likha hai aapne...!! basant panchmi ki shubhkaamnaayen..!!

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  10. आपको एवं आपके परिवार को बसंत पंचमी पर हार्दिक शुभकामनाएं.

    सादर

    समीर लाल
    http://udantashtari.blogspot.com/

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  11. माँ सरस्वती को नमन........बसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनायें आपको भी......

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  12. आप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद.

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  13. वाह ... बहुत सुन्दर बसंत पंचमी की शुभ कामनाएं मन को भावुक कर दिया आभार / शुभ कामनाएं

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