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15 August 2010

बस आज के लिए .............

बस आज
सिर्फ आज
मनाऊंगा

मैं
आजादी
का
ज़श्न
और
कल फिर से
भूल जाऊंगा
अपने प्यारे देश को।
गलती उनकी थी
जिन्होंने
कुर्बान कर दिया
खुद को
जवानी की
रंगरेलियां भूल कर
उन की
आत्माएं
रोएँ तो
रोएँ
पर मैं
सिर्फ
'मैं' ही हूँ
शोषक
भ्रष्ट
और
न जाने
क्या-क्या
बस
पैसा
पैसा
और
सिर्फ
ैसा;
पैसा
ही
मेरा
ईमान
और
देश भक्ति है। 
मुझे
मत सिखाओ
क्या
सही है
और
क्या गलत
सिर्फ आज
आज-एक दिन
के लिए
नया सफ़ेद
कुरता-पायजामा
पहने
मैं 
गीत गाउंगा
देश के
और
कल आजादी से
आ जाऊंगा
अपने असली रूप में
एक साल
के लिए।







7 comments:

  1. आपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल कल 3 - 11 - 2011 को यहाँ भी है

    ...नयी पुरानी हलचल में आज ...

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  2. यही हाल है..सबका.एक दिन के लिए आज़ादी के जलसों में शामिल होके बाकी दिन देश को भूल जाते हैं

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  3. एक दिन की सच्चाई का सटीक चित्रण किया है।

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  4. सिर्फ आज
    आज-एक दिन
    के लिए
    नया सफ़ेद
    कुरता-पायजामा
    पहने
    मैं
    गीत गाउंगा
    देश के
    और
    कल आजादी से
    आ जाऊंगा
    अपने असली रूप में
    एक साल
    के लिए। ...
    ....
    वर्तमान परिवेश और देशभक्ति की विलुप्त होती भावना पर सटीक चोट ! बधाई हो यशवंत जी सुंदर रचना के लिए !!

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  5. सुंदर रचना
    सादर बधाई...

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  6. देश और देशा की आजादी के लिये कुर्बानियां देने वाले सहीदों को केवल भाषणों से श्रधांजलि दी कर सेंकनी हैं रोटियां...बेहद सुन्दर भावपूर्ण प्रस्तुति ...सादर !!!

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