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17 July 2010

मैं स्वार्थी हूँ!!

लोग कहते हैं

तुम स्वार्थी हो

मैं कहता हूँ

ाँ!

हाँ!! मैं स्वार्थी हूँ

स्वार्थी तो

ऊपर वाला भी है

स्वार्थ उसका भी है

मनोरंजन पाने का

वो हँसता है!

शायद रोता भी होगा!

इंसानी कठपुतलियों को

सृष्टि के रंगमंच पर

अपनी भूमिका निभाते देखकर;

तो मैं क्या चीज़ हूँ-

एक अदना सा मानव!

मैं स्वार्थी हूँ!!

क्योंकि स्वार्थ

मुझे प्रेरणा देता है

नए आविष्कार करने की

कुछ नया सोचने की

ताकि मैं पा सकूँ

वो मुकाम

जिसकी मुझे तलाश थी !

5 comments:

  1. sahi likha hai aapne ..kalyankari swarth to bura nahin hai ...
    sunder rachna .....

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  2. वाह!! मासूम और मनमोहक तर्क....
    अति सुन्दर....
    शुभकामनाएं....

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  3. स्वार्थ जैसी नकारात्मक भावनाओं का सकारात्मक पक्ष उजागर करती सुंदर प्रस्तुति. आभार.
    सादर,
    डोरोथी.

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  4. ऐसा स्वार्थी होना अच्छा है ..कुछ करने की प्रेरणा देती अच्छी अभिव्यक्ति

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